Tritiya Prakriti Surakshya Abhiyan In Odisha | ओडिशा तृतीया प्रकृति सुरक्ष्य अभियान

Tritiya Prakriti Surakshya Abhiyan In Odisha

Tritiya Prakriti Surakshya Abhiyan In Odisha

Tritiya Prakriti Surakshya Abhiyan In Odisha :- ओडिशा सरकार ने ट्रांसजेन्डर समुदाय के कल्याण के लिए “तृतीया प्रकृति सुरक्ष्य अभियान (टीपीएसए)” नामक एक नई योजना शुरू करने की योजना बना रही है। इस अभियान की घोषणा ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए की गई है। इस योजना का उद्देश्य ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए छात्रवृत्ति,पुनर्वास सुविधाओं,रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए की है।

ओडिशा तृतीया प्रकृति सुरक्ष्य अभियान

इस नई योजना के साथ सरकार का उद्देश्य इस विशेष समूह से संबंधित लोगों की स्थिति का उत्थान करना है। एक एसएसईपीडी (सोशल सिक्योरिटी सशक्तिकरण विभाग विभाग) ने हाल ही में ओडिशा राज्य में एक नई योजना शुभारम्भ किया है। इस योजना के कार्यान्वयन से पहले, SSEPD विभाग जल्द ही पूरे राज्य के Transgender लोगों की पहचान के लिए सर्वेक्षण शुरू करेगा |

Benefit of Tritiya Prakriti Surakshya Abhiyan

1. इस योजना का लाभ केवल ट्रांसजेंडर समुदाय को दिया जाएगा।
2. इस समुदाय को पहचान और पुनर्वास दिलाने का काम किया जाएगा।
3. इन्हे रोजगार के अवसर भी दिए जायगे।

4. ट्रांसजेंडर समुदाय के छात्रों को Rs 550 /- का दैनिक छात्रवृत्ति के हिसाब से मासिक मीट्रिक छात्रवृत्ति मिलेगी।
5. इन छात्रों को 10 महीनों के लिए हॉस्टल बोर्डर्स के लिए 1200 रुपये दिए जाएंगे।
6. राज्य सरकार Transgender समुदाय के छात्रों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम का आयोजन करेगी और 200 घंटे के पाठ्यक्रम के लिए ट्रांजेन्डर ट्रेनी को 15,000 रुपये प्रदान करेगी।

7. इसके अलावा सरकार प्रत्येक ट्रांसजेंडर छात्र के लिए एक वर्ष के लिए मासिक 150 रुपये की सहायता भी देगी जो दिन में स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं।
8. छात्रवृत्ति सहायता उन छात्रों के लिए भी की जाएगी जो राज्य के स्कूलों में 8 वीं से 10 वीं कक्षा में हैं।
9. नई योजना के तहत सरकार ट्रांसजेंडर बच्चों के माता-पिता के लिए 1000 रुपये मासिक सहायता प्रदान करेगी।
10. वर्ष 2011 के सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के हिसाब से ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में 43,161 और शहरी क्षेत्रों में 4, 632 ट्रांसजेंडर जनसंख्या दर्ज की गई थी।

11. समाज का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद ट्रांसजेंडर समुदाय इतने लंबे समय तक समाज से विमुख रहे हैं।
12. वर्ष 2014 के सर्वोच्च न्यायलय के फैसले में ट्रांसजेंडर समुदाय को कानूनी रूप से समाज का तीसरा जेंडर माना था।
13. यह केंद्र और राज्य सरकार का कर्तव्य है कि उन्हें सभी अवसर प्रदान करें और उन्हें एक सम्मानजनक जीवन प्रदान करें।

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